फरीदाबाद के मिर्जापुर गांव की रहने वाली स्कूल टीचर मंजू यादव ने महिलाओं के उद्धार के लिए एक साहसिक कदम उठाया है। उन्होंने घूंघट प्रथा के खिलाफ एक अभियान छेड़ा हुआ है। उनका मानना है कि “घूंघट से आत्मविश्वास कम होता है।” इस साल अप्रैल में, मंजू यादव ने अपने परिवार की छह महिलाओं के साथ अधिकारियों के सामने उन्हें घूंघट से मुक्ति देने का निवेदन किया था। इसमें उनके परिवार ने उनका साथ दिया और आज वह अन्य महिलाओं को भी घूंघट से मुक्ति दिला रही हैं। वो कहती हैं, “पहले हमें चलने और देखने में दिक्कत होती थी। दूसरा हम घूंघट में रहकर एक हिचक सी महसूस करते थे और हम अपनी बात ढंग से नही कह पाते थे।”
उन्हें देखकर हाल ही में फरीदाबाद के गांवों की महिलाएं और महिला सरपंचों ने सरकारी अधिकारियों के सामने शपथ ली कि वे अगस्त 2016 से नवंबर 2016 पर्दा प्रथा को हटाने का काम करेंगी।
मंजू कहती हैं, “लड़की सास-ससुर को पिता मानती है, तो वह उसे बेटी की तरह क्यों नहीं रखते? घूंघट की क्या जरुरत है? शर्म तो आंखों में होनी चाहिए, घूंघट में नहीं।”