पूर्णिमा राव, इंडियन टीम की खिलाड़ी रही हैं लेकिन अब उनकी पहचान इंडियन क्रिकेट टीम की कोच के रूप में है। 2015 में पूर्णिमा राव राष्ट्रीय महिला टीम की कोच के रूप में वापस आई और तभी से इंडियन टीम काफी लगातार जीतती आ रही है। श्रीलंका में खेली गई अंतर्राष्ट्रीय वन डे सीरीज जो न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ़ थी वो जीतने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय 20-20 सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक ऐतिहासिक जीत हासिल की। ऐसे ही कई बड़े सीरिज अब तक अपने नाम किए हैं।
पिछली 6 टी-ट्वेंटी सीरिज में से 5 सीरिज इंडियन टीम के नाम रही हैं। 15 मार्च को भारत में शुरू होने वाले टी-ट्वेंटी सीरिज में भारत की टीम और उसकी योजनाओं के बारे में बताते हुए पूर्णिमा राव ने बात की। पेश हैं इस बातचीत के कुछ अंश…
सवाल- ऐसा क्या हुआ जो, ऑस्ट्रेलिया में जीत के बाद अचानक भारतीय टीम टूर्नामेंट्स की पसंदीदा टीम बन गई?
जवाब- हमारी टीम का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। हमने जम का शॉट मारे और अच्छा खेला। मैं समझती हूँ शानदार पाली खेलने के लिए ऐसा प्रदर्शन बेहद जरुरी है। जीत कायम रखने के लिए समय निर्धारण के साथ दमदार खेलना भी जरुरी है। हमारी टीम ने सरलता से खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया टीम की धज्जियां उड़ा दीं और विनम्र तरीके से विरोधी टीम को घुटनों पर ला दिया।
सवाल- ऑस्ट्रेलिया मैच में टीम की फील्डिंग बहुत शानदार रही। इसे और बेहतरीन बनाने में आपका साथ कौन देता है?
जवाब- वास्तव में देख जाए तो इसके लिए कोई काम नहीं किया जा रहा क्योंकि मेरे पास कोई असिस्टेंट कोच नहीं है लेकिन फिर भी, सहायक न होने के कारण इस कमी ने खिलाडियों को अधिक ज़िम्मेदार बना दिया है। टीम को हार न मानने की आदत हो गई है और मैं खुद नही समझ पा रही हूँ कि यह आदत कैसे आई. हमें कुछ बड़ा करना है और मुझे लगता है कि हमें सुविधाओं की जरूरत से ज्यादा जीत की जरूरत है।
सवाल- टूर में हरभजन सिंह और सुरेश रैना के साथ बातचीत हो पाना आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?
जवाब- वह हमारे ड्रेसिंग रूम के सामने थे और हमने साथ में नेट प्रैक्टिस भी किया। वह हमारे खेल और प्रदर्शन से बहुत खुश थे इसलिए रैना, शिखर धावन और रहाने ने रुक कर हमारी नेट प्रैक्टिस भी देखी। वह सभी हमारे खेल को देखकर उत्साहित थे और हमें उनसे मिलने वाला यह समर्थन अच्छा लग रहा था। मैं जब हैदराबाद में खेलती थी, तब भी इस तरह का समर्थन लड़कों की टीम से मिलता था और रणजी के खिलाडी हमारे साथ खेलते थे। इस तरह का माहौल टीम को मिलना, टीम बेहतरी के लिए बहुत जरुरी है। खास कर इन लड़कियों के लिए यह सम्मान और प्रशंसा, उनको अपने खेल प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
सवाल- क्या आपको लगता है कि ऑस्ट्रेलिया सीरिज से पहले केंद्रीय अनुबंध ने टीम की लड़कियों को मानसिक रूप से आज़ादी दिलाई है?
जवाब- हां बिलकुल, इससे बहुत फर्क पड़ा है। वह अब आज़ाद हैं और आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस कर रही हैं। यही सुरक्षा उनके प्रदर्शन में दिखती भी है। जल्द ही बी.सी.सी.आई अंडर 23 भी शुरू कर रही है। जो लडकियाँ पहले शादी की वजह से तनाव में रहती थी उन्हें अब राहत की साँस मिली है। वह अब राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने को तैयार हैं। मेरा लक्ष्य सिर्फ यह वर्ल्ड कप नहीं है बल्कि मैं इस प्रतिभा और क्षमता के बल पर आने वाले 3 वर्ल्ड कप भी जीतने की उम्मीद करती हूं, जैसे ऑस्ट्रेलिया ने जीते हैं। इस बात का हमारी टीम को भरोसा है।
सवाल- आपके कोच बनने के बाद से, टीम में क्या बड़ा फर्क नजर आया है?
जवाब- 2014 में जब मैं पहली बार टीम से विशाखापत्तनम में मिली, तभी मैंने उनके दिमाग में यह विचार डाला कि हमें वर्ल्ड कप लाना है। हमें उसी स्तर का खेलना है, हमें नंबर1 बनना है। मैं जब भी टीम से बात करती हूं तो ‘वर्ल्ड कप आपका है और नंबर1 की जगह आपकी है’ यह कह कर उन्हें संबोधित करती हूं।
सवाल- ऐसे कौनसे क्षेत्र हैं जहाँ टीम को सुधार की जरूरत है?
जवाब- पिछले दो सालों में टीम की तैयारी काफी बेहतर हो गयी है पर बेजोड़ होने में अभी समय है। सिर्फ मिताली राज (कप्तान) ने निरंतरता दिखाई है। सीखने के लिए टीम के पास दो महान खिलाड़ी- मिताली राज और झूलन गोस्वामी है। इनका संघर्ष और स्तर कड़ी मेहनत का नतीजा है।
सवाल- आपको क्या लगता है कि भारतीय टीम को एक सरल ग्रुप में जगह मिली है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दोनों दुसरे ग्रुप में है?
जवाब- नहीं, मैं पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी टीमों को हल्के में नहीं ले सकती। ट्वेंटी-ट्वेंटी के खेल में कुछ भी हो सकता है। मैं चाहती हूं मेरी टीम अपनी काबिलियत और क्षमता से बेहतर खेले। अगर 60 रन बना कर सभी आउट भी हो जाएं तो मुझे भरोसा है कि वह विरोधी टीम की सभी खिलाडियों को 58 में ही आउट कर देंगी।
फोटो/लेख साभार: विसडेन इंडिया