जिला वाराणसी, ब्लाक हरहुआ, गावं बैरीबन। इहां के दलित बस्ती में लगभग साठ घर हव लेकिन अभहीं तक कोई के आवास नाहीं मिलल हव। इहां के मीरा, सावित्री इ लोगन के कहब हव कि हमार शादी भइले सात साल हो गएल हव। लेकिन अभहीं तक आवास नाहीं मिलल हव। अब त धीरे धीरे प्रध्ाानी के समय भी खत्म होत हव। हमने के सास ससुर के जवन घर हव। ओही में हमने रहल जाला। मिट्अी के घर हव। उ भी गिरत भहरात हव। ओही में हमने कइसो कइसो गुजारा करत हई। लेकिन जब बरसात के समय आवला त हमेशा मन में डर बनल रहला कि कहीं घर बइठ ना जाए। हमने त बड़ी मुश्किल से खाए भर के जुटा पाइला। हमने घर कहाँ से बनवाइब। जब सरकार के तरफ से आवास मिले के नियम हव त हमने के मिल जात त हमने त हमने के केतना अराम हो जात। हमने केतना बार प्रधान से भी कहीला लेकिन हमने के कोई सुनबे नाहीं करत। प्रधान जीयुता के पति राधेश्याम के कहब हव कि ए समय आवास नाहीं आवत हव। दू महीना पहिले बाइस लोगन के सेकेटरी के जरिए प्रस्ताव देहले हई।
हमने त आवास के मांग में जूझत हई
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