केंद्र सरकार अउर राज्य सरकार गौ रक्षा का लइके बहुतै प्रचार प्रसार मा लाग हवै। पै सड़कन मा जघा-जघा घूमत गाय देखात हवैं। उनके खातिर सरकार के पास का व्यवस्था हवै? का गौ रक्षा सड़कन मा या भूखे पियासे जानवरन के घूमैं से खतम होइ जई? सरकार केवल उनके रक्षा का ढिंढोरा बस पीटत रही या जानवरन खातिर गौशाला भी बनवइ हैं? बुन्देलखण्ड के सड़क मा झुन्ड के झुन्ड जानवरन के बइठल रहत हवै जेईसे निकलै से रोज एक्सीडेंट होत हवैं। काहे नहीं सरकार समस्या खातिर गौशाला बनवावत आय। जघा-जघा गाय कूड़ा कचरा खा के आपन पेट भरत हवै। का यहि आय गौरक्षा? सड़कन मा भूखे पियासे लकलकात गाय हिंया भटकत हवै। न तौ चारा के व्यवस्था ना भूसा ना उनका बइठै के व्यवस्था। तौ फेर कसत गौ रक्षा सरकार कही सकत हवैं? चित्रकूट जिला मा पिछले छह महीना से गौशाला बनवावै के बात एस.डी एम कहत रहै पै आज तक वहिकर पता नहीं आय। जानवरन के झुन्ड का लइके एस.डी.एम नरेन्द्र कुमार से मड़इन के लड़ाई भी होइ गे रहै, पै तबहूं गौशाला नहीं बने आहीं। चित्रकूट के लाखन जानवर हिंया हुंवा बस भटकत हवै। सरकार या जरुर आदेश देत हवै कि गाय का कउनौ चोट नहीं पहुंचा सकत आहीं। पै जउन आदमियन के माउत जानवर के झुन्ड से होइ जात हवै वहिके खातिर सरकार के लगे कउनौ जवाब हवै?
सरकार का चाही कि सब से पहिले हर जिलन मा गौशाला बनवाये का चाही। गौशाला मा खा पियौह देखभाल अउर छाया के नीक व्यवस्था होय का चाही। तबहिने गौ सुरक्षा होइ सकत हवै? नहीं तौ सरकार केवल आपन ढिंढोरा बस पीटत रही अउर मड़ई मारत रही रोज एक्सीडेंट मा सरकार जउनतान गौ रक्षा खातिर लोग का कहत हवै वहिनतान वहिका सकल भी बनावै का चाही। का इनतान मा सरकार के मंसा कत्तौ पूर होइ सकत हवै?गाय तौ यहिनतान भूखी पियासी भटकत हवैं? बस मड़ई जरुर इनतान के मुददन के भड़कत हवैं? सरकार का सोच के इनतान का फैसला करिस हवै जउन कत्तौ पूर भी नहीं होइ सकत आय। प्रधानमंत्री का तौ तीन साल होत हवैं उंई बतातौं कि केत्ती गाय के सुरक्षा करवा चुके हवै? या सब हवा हवाई नाम खातिर आय?
कूड़ा खा के पेट भरै का मजबूर ह