स्वास्थ्य केन्द्र अउर उपकेन्द्र हर जगह बना बाय लकिन कहूं चला थै कहूं नाय चलत। कउनौ कै खिड़की फर्स टूटी बाय तौ कहूं साफ सफाई नाय भै बाय। यहि तरह से गांव कस्बा मा स्वास्थ्य केन्द्र बनवाये कवन फायदा ?जब मनई का दवाई दूर लियै जाय का परै। जब स्वास्थ्य केन्द्र चलै का नाय रहत तौ काहे खोलवाय दीन जाथै? स्वास्थ्य केन्द्र रहाथै तबौ कउनौ सुविधा न मिलै के कारण मरीज का दूर लै जाय का परा थै। मनई के पास साधन कै व्यवस्था भी नाय रहत तौ कभौं कभौं मरीज कै हालत खराब होय जाय से बहुत परेशानी
झेलै का परा थै हिंआ तक की मरीज कै मउत भी होय जा थै।
प्रशासन से पूछे पै पता चला थै कि अबहीं ए.एन.एम या डाक्टर कै न्यूक्ति नाय भै बाय काहे से अबहीं यकै मान्यता नाय मिली बाय। राष्टीय गा्रमीण स्वास्थ्य मिशन के अनुसार पांच हजार आबादी मा एक उपकेन्द्र हुवय कै नियम बाय अउर उपकेन्द्र मा ए.एन.एम. मेहरारु के प्रशव कै व्यवस्था भी कराथिन। जिला फैजाबाद तारुन ब्लाक के केशरुआ बुजुर्ग कै उपकेन्द्र गन्दा अउर खिड़की टूटी बाय। उपकेन्द्र सिर्फ पोलियो अउर टीकाकरण के दिन खुला थै अउर गेट हमेशा ख्ुाला रहा थै। गेट हमेशा खुला रहै से जानवर भी घुस जा थिन जेसे गन्दगी होय जा थै। ठीक इहै हाल फैजाबाद के मया ब्लाक के रामापुर उपस्वास्थ्य केन्द्र कै बाय हुंवा कै खिड़की अउर फर्स टूट गै बाय। अगर सारी सुबिधा स्वास्थ्य केन्द्र में हो तो मरीज को इतनी दिक्कत न हो और उन्हे इधर उधर क्यो भटकना पड़े। और उनके पैसे और समय दोनो की बचत हो।