साल का आखिरी समय होय के कारन चित्रकूट जिला मा कमिश्नर दौरा मा दौरा करै मा कमिश्नर पीछे नहीं हवैं। या सात दिन के भीतर उंई लौढि़या खुर्द गांव अउर सिंचाई विभाग मा आय रहै। उनके आवैं से अधिकारिन के पोल खुल गे हवै।
सरकार डाक्टर राममनोहर लोहिया समग्र गांव मा विकास करवावैं खातिर बजट देत हवै कि गांव मा हर विकास के काम का करवावा जाये का चाही। या बात का पता तबै लाग गा जबै कमिश्नर वा गांव मा दौरा करिन रहै। अउर मड़इन साथै चैपाल लगा के उनके समस्यन का सुनत रहैं। अब सवाल या उठत हवै कि का विकास करवावैं खातिर सरकार रुपिया दिहिस रहै तौ वा रुपिया का प्रधान अउर सचिव कहां लगा दिहिन? आखिर गांव मा विकास का काम काहे अधूरा परा हवै? या विकास के समस्यन से गांव के जनता का केत्ती समस्या आवत हवै या तौ वहै जान सकत हवै। जउन इनतान के समस्यन से गुजरत हवैं। अधिकारी प्रधान अउर सचिव का तौ बस अपने जेब मा रुपिया रखै से मतलब रहत हवै। उनका का चिंता कि केहिका का समस्या हवै? दूसर बात कमिश्नर सिंचाई विभाग का भी जांच करिन तबै सिंचाई विभाग वालेन के पोल खुल गे कि उनकर कउनौ भी फाइल तैयार नहीं रहै। विभाग के भीतर मैदान मा गुटका के थूंक से लाल जमीन का देख के कमिश्नर का गुस्सा तौ देखतै बनत रहै। जबैकि कमरन के रंगाई अउर पुताई तौ चका चक रहै। अब यहिसे तौ साफ पता लागत हवै कि भारत सरकार द्वारा चलाये गे स्वच्छ भारत मिशन का कउनतान से सरकारी करमचारी धज्जी उड़ावैं मा लाग हवैं? का यहिनतान मा सरकार के योजना का सफल बनावैं काम सरकारी करमचारी करत हवैं?
स्वच्छ भारत मिशन के उड़त धज्जी
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