2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। यह सफर अब अपने दो साल पूरे कर चूका है लेकिन अभी भी देश के 62% जिले ऐसे हैं जहाँ लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। दो साल गुजरने के बावजूद राज्य के 69 ब्लॉकों की 4757 ग्राम पंचायतें अब तक ओडीएफ घोषित नहीं हो पाई है। 52 हजार 614 गांव अब तक बाहर शौच के लिए जाते हैं।
दरअसल, ग्रामीण क्षेत्र में पानी की कमी शौचालयों के निर्माण तथा इसके उपयोग में सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
33 जिलों में कुल 295 ब्लॉक हैं। इनमें से 152 ब्लॉक खुले में शौच वाले घोषित किए जा चुके हैं। जबकि, 74 ब्लॉक ही प्रमाणित किए जा सके हैं। ऐसे में अब भी 221 ब्लॉकों में शौचालयों के निर्माण की गति नहीं बढ़ पा रही है।
कुल 9 हजार 849 पंचायतों में से 7 हजार 578 पंचायतें खुले में शौच वाले घोषित की जा चुकी है। इनमें से महज 5092 पंचायतों को प्रमाणित किया गया है। शेष 2 हजार 486 पंचायतों को प्रमाणित भी कर दिया जाए तो भी 4 हजार 757 पंचायतें अब भी शौचालयों से वंचित है।
केन्द्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में शौचालयों के निर्माण तथा उसके उपयोग के प्रति ग्रामीणों को खूब जागृत किया। लेकिन, उतनी चेतना नहीं आ पाई, जितनी समय की मांग थी। नतीजतन, गुजरे सालों में प्रदेश के 31 हजार 837 गांव ही खुले में शौच वाले घोषित हो सके। इनमें से भी 20 हजार 777 गांव ही प्रमाणित हो पाए है।
फोटो और लेख साभार: इंडियस्पेंड