जि़ला बांदा। मनरेगा और इन्दिरा आवास का सोशल आॅडिट करने के लिए नई टीम का गठन करके उनको ब्लाॅक वाइज़ प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
डी.डी.ओ. कार्यालय से मिली जानकारी के हिसाब से 2015-16 की टीम का प्रशिक्षण अब हो रहा है। जबकि अब 2016-17 के लिए टीम तैयार की जानी चाहिए थी। 2015-16 शेड्यूल में है कि नरैनी में दस, बड़ोखर खुर्द में आठ, तिन्दवारी में आठ, बबेरू में आठ, कमासिन में आठ, जसपुरा में पांच, बिसण्डा में सात और मंहुआ में दस टीमें बनाई गई हैं। एक टीम में दस लोग होते हैं। इन टीमों का प्रशिक्षण 17 दिसंबर से चल रहा है और 6 फरवरी तक चलेगा। ये टीमें 1 अप्रैल से 30 मार्च तक काम करेंगी। इस बीच टीम के प्रति व्यक्ति को पांच आॅडिट करने का मौका मिलेगा। प्रति आॅडिट में पांच सौ रुपए, यात्रा भत्ता व खाने का भुगतान किया जाएगा। आइए जानते हैं ट्रेनिंग ले चुके राकेश कुमार का अनुभव-
आप कहां के रहने वाले हैं?
मैं बड़ोखर खुर्द ब्लाॅक के बडोखर खुर्द गांव का रहने वाला हूं।
क्या पढ़ाई कर रहे हैं?
मैं बी.काम. की पढ़ाई कर रहा हूं। यह मेरा दूसरा साल है।
सोशल आॅडिट के बारे में कैसे सुना?
मुझे मेरे गांव के प्रधान व अखबार के विज्ञापन से पता चला।
तीन दिन की ट्रेनिंग में क्या सिखाया गया?
ट्रेनिंग में आॅडिट करने का फाॅर्म समझाया गया है। प्रधान, पंचायत, मित्र व वार्ड सदस्य के साथ मिल कर किस होशियारी के साथ सवालों के जवाब निकलवाने हैं। मतलब कि किस-किस काम के लिए कितना बजट आया और कहां पर कितना खर्च हुआ, जानना सिखाया। गांव में जाकर फील्ड विजि़ट किया। गांव के लोगों के साथ किस तरह से बातचीत करनी है, यह सब सिखाया गया है।
आप कौन से ब्लाॅक में शुरू करेंगे। कौन-कौन सी योजनाओं को आॅडिट करेंगे?
मेरा प्रशिक्षण बड़ोखर खुर्द ब्लाॅक के लिए हुआ है। इंदिरा आवास और मनरेगा का आॅडिट करूंगा।
आपके हिसाब से सोशल आॅडिट का क्या महत्त्व है। इससे क्या पता चलेगा?
इससे बजट में होने वाला घोटाला और पैसे की हेरा फेरी के बारे में पता चलेगा। गांव के लोगों और प्रधानों के बीच पारदर्शिता होती है।
सोशल आॅडिट के लिए तैयार की जा रही टीम
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