जिला फैज़ाबाद। फैज़ाबाद में अलग-अलग सरकारी योजनाओं के लिए दूर के गांवों से लोग रोज़ाना ज़िले के चक्कर लगा रहे हैं।
बीकापुर ब्लाक के खजुरार गांव की कमला और प्रीति 4 जून को आशा कार्यकर्ता के साथ 25 किलोमीटर दूर फैज़ाबाद जिला अस्पताल आई थीं। दोनों आठ महीने की गर्भवती हैं और यहां तीसरी बार अल्ट्रासाउंड कराने आई थीं। हर बार लगभग पचास रुपए किराया लगा पर अभी तक किसी ना किसी कारण उनका टेस्ट नहीं हो पाया।
जिला अस्पताल की सी.एम.एस. नीरजा माला का कहना है कि अल्ट्रासाउंड के लिए अस्पताल से एक फार्म दिया जाता है। जब फार्म भर जाता है तब अल्ट्रासाउंड होता है। यह फार्म बारह बजे तक मिलता है।
प्रीती का सातवां महीना चल रहा है। डाक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने को कहा है पर रोज़ भीड़ के रहते दो दीन से वह आकर लौट जा रही है। धूप में रोज़-रोज़ आने से तबियत खराब हो जाती है और तो और अब तक अल्ट्रासाउंड भी नहीं हो पाया है।
गोसाईगंज ब्लाक के पकरेला गांव की रमावती डिलेवरी के बाद अपने चैदह सौ रुपए के चैक के लिए पांच महीने से दौड़ भाग कर रहीं हैं। उनसे पांच सौ रुपए घूस मांगी जा रही है। रमावती का कहना है कि यदि इतना खर्च करके चैदह सौ रुपए मिलेंगे तो सरकारी अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल में प्रसव कराने में क्या ही अंतर है।
सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने वाली हर औरत को चैदह सौ रुपए का चैक दिया जाता है। यह चैक औरत के बैंक खाते या उसके परिवार में किसी के खाते में जमा करा सकते हैं। अगर मायके में बच्चा होता है तो वहां के प्रधान से लिखवाना पड़ता है कि वह उस गांव की निवासी है। मुसीबत तब बढ़ती है जब खाता ना होने पर बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं।