जीएसटी एक जुलाई से लागू हो गया है। टैक्स विभाग ने लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स तय कर दिया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस देश में गरीब महिलाएं सेनेटरी नैपकीन को खरीदने में असमर्थ होने पर राख से पैड बनाकर प्रयोग कर रही हैं वहां सेनेटरी नैपकीन पर 12% का टैक्स लगाया गया है।
जबकि जारी सूची में करवाचौथ की थाली को सरकार ने फ्री कर दिया और कंडोम को सस्ता कर दिया है।
सूची के अनुसार कुमकुम, बिंदी, सिंदूर और आलता को टैक्स से दूर रखा गया है। प्लास्टिक की चूड़ियां भी इसी का हिस्सा हैं। इन पर कोई टैक्स नहीं। यानी सरकार को लगता है कि औरतों के लिए करवाचौथ की थाली उनके स्वास्थ्य और सफाई से ज्यादा जरूरी हैं।
इस सूची में 5%, 12%, 28% के टैक्स के अंतर्गत कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियों को बिना किसी टैक्स के साथ रखा गया है। जाहिर है अधिक से अधिक लोगों तक इनकी पहुँच बनाने के लिए इन पर टैक्स नहीं लगाने का फैसला लिया गया है। मगर औरतों की स्वस्थ्य सुरक्षा की बात सरकार नहीं कर रही।
हमारे देश में माहवारी से जुड़े कई टैबू हैं जिन्हें ख़त्म करना चाहिए। ग्रामीण क्षत्रों में आज भी महिलाएं माहवारी के दिनों में राख से बना हुआ पैड प्रयोग में लाती हैं। जिससे कई गंभीर बिमारियों की चपेट में वह आ रही हैं।
एक अनुमान के अनुसार, 88% औरतें यानी 35.5 करोड़ औरतें आज भी माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकीन की बजाय कपड़ा, राख, लकड़ी की छीलन और फूस का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में सेनेटरी नैपकीन का सस्ता होना बेहद ज़रूरी है।
साल 2014 की एक रिपोर्ट में कहा गया है की उड़ीसा में माहवारी शुरू होने पर 23% लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं।
वहीं 17 मई को केरल सरकार ने इस बारे में एक अच्छी शुरुआत की है। सरकार की ओर से हर स्कूल में सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाया जाएगा। ऐसा करने वाला यह देश का पहला राज्य बन गया है। ये नियम 10वीं तक के स्कूलों में लागू होगा।
सेनेटरी पैड पर सरकार ने लगाया 12% टैक्स
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