जिला बांदा ब्लाक महुआ, गांव जरर, पिथौराबाद, खोही, प्रीतमपुर, गोबर्धनपुर और छनिहाडेरा। इन गांवों के हजारों किसान नहर होते हुए भी उसका फायदा नहीं ले पाते, क्योंकि नहर में पानी छोड़ा ही नहीं जाता। लगभग पन्द्रह सौ बीघे की खेती बारिश के पानी के भरोसे है।
जरर गांव के किसान महाबीर, संतस्वरूप, देवराजशरण, नन्हें, राकेश, राजेन्द्र, गरीबा, चुन्ना और मुन्ना बताते हैं कि ये गांव पहाड़ के किनारे बसे है। इसलिए बलुई और काली मिट्टी है इसमें अच्छी पैदावार हो सकती है। लेकिन पानी न मिलने से अच्छी फसल नहीं हो पाती।
बरियापुर बांध से निकली यह नहर लगभग सत्तर साल पुरानी है। तब से एक बार पानी आया है। पिथौराबाद के श्यामनारायण खोही के छोटेलाल बताया कि इसकी शिकायत हमने कई बार डी. एम, एस. डी. एम. व नहर विभाग से की।
लघु डाल नहर खण्ड बांदा के अधिषाशी अभियंता अजय मल्होत्रा का कहना है, कि 15 नवम्बर 2013 को नहर चालू हुई थी। पानी न जाने की जानकारी हमें नहीं है। अगर इस तरह की दिक्कत है तो जांच कराके कार्यवाही की जाएगी।