जिला बांदा। उत्तर प्रदेश सरकार ने सूखाग्रस्त लोगों की मदद के लिए सूखा राहत चैक की व्यवस्था की हैं। लेकिन खराब प्रशासनिक व्यवस्था के कारण किसानों तक यह राशि नहीं पहुंच पायी। पूरे बांदा जिले के लिए अड़तालीस करोड़ बयालीस लाख तैंतीस हजार रुपए आये हैं। लेकिन इसका वितरण कब, कैसे और कहां हो गया? पता ही नहीं चला!
दरअसल, जो चैक कुछ किसानों को मिले भी हैं वह पिछले साल दैवीय आपदा से खराब हुई फसल के थे। यह चैक भी किसानों ने तहसील में अधिकारियों के सैकड़ों चक्कर लगाने के बाद हासिल किए थे।
ब्लाक नरैनी, गांव सढ़ा। इस गांव के महाबीर कहते है कि पिछले साल मई के महीने में मुझे आठ हजार नौ सौ रुपए का चैक मिला था। फिर उसके एक महीने बाद पंद्रह सौ का मिला था। लेकिन इस साल एक रुपया भी सूखे के नाम पर नहीं दिया गया। जबकि मेरी आठ बीघे की जमीन पूरी खाली पड़ी है। अब चिंता होने लगी है कि हम लोग अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे।
इसी गांव के सफीक का कहना है कि चैक के लिए जब भी लेखपाल से कहो तो वह टालते रहते हैं। हमारे गांव के 40 प्रतिशत किसान जो गरीबी रेखा में आता है उसे भी चैक नहीं दिया गया।
सढ़ा के मजरा कहला की मीरा बताती है कि मेरा तो पिछले साल का नौ सौ रुपए का चैक भी अभी तक लेखपाल ने नहीं दिया है। पिछले साल मेरे अठारह बीघा जमीन का गेंहू बारिश न होने के कारण खराब हो गया था। उस फसल को तैयार करने के लिए नब्बे हजार रुपए जुताई, बुवाई, खाद-बीज और दूर से पानी लाने में खर्च भी किया था। पर अठारह बीघे में कुल दो कुन्तल गेहूं ही पैदा हुआ। खेती में भी हम लोगो के छह हिस्से थे। इसके बाद हमारे पास कुछ नहीं बचा।
इसके बाद जब भी चैक दिया, कुछ-कुछ राशि दी। बाकी का कहाँ गया किसी को नहीं मालूम। लेखपाल तो कहता है कि तुम सब को चैक मिल गये, जिसकी लिस्ट भी वो दिखा देता है। लेकिन हमें तो कुछ मिला ही नहीं। अब समझ नही आता किससे, क्या कहें?
नरैनी नायब तहसीलदार दिलीप कुमार कहते है कि सरकार ने जो नया बजट किसानो को दिया है वो जिले से ही दिया गया है। विभाग में ही लेखपालो को बुला कर सूची बनाई जा रही है और किसानो के खाते नंबर लिए जा रहे हैं जिससे पैसा सीधे बैंक खाते में आएगा। तहसील से कोई लेना देना नहीं है। यह नियम साफ है ताकि पैसा कहीं न जा सके।
जसपुरा ब्लॉक गांव अदरी के किसान अब्दुल रज्जाक, हसन खान और रोशनी ने 3 मई को पैलानी तहसील में एसडीएम को दिये गये प्रार्थना पत्र में लिखा है कि दो साल हो गये, हम लोगो को ओला वृष्टि और सूखे का कोई भी मुआवजा नहीं मिला है न ही लेखपालो द्वारा गांव का सर्वे कराया गया। हम गरीब किसान 4 से 5 बीघे के कास्तकार हैं। उसमें भी चार साल से कुछ पैदा नहीं हो रहा। हर घर में चार से पांच लोगो का खाना-खर्चा है। जो अब नहीं चल पा रहा। और अब तहसील के चक्कर काटते-काटते पुरा साल बीत गया है। सूखे के चलते घर खर्च, पढ़ाई और शादी-ब्याह जैसे बहुत से काम हम गरीब किसानो के रुक गये हैं और किसान किश्तों में मर रहा है।
लोगों की प्रतिक्रिया जानने के बाद एसडीएम कहते है कि लेखपाल के खिलाफ जांच के आदेश दिया जाएगा। और जल्द ही सभी को मुआवजा राहत चैक उपलब्ध भी कराया जाएगा।
पैलानी तहसीलदार अजय सिंह कहते है कि पुरे बांदा जिले के लिए अड़तालीस करोड़ बयालीस लाख तैंतीस हजार रुपए आये थे। जिसमें से पैलानी तहसील के लिए सात करोड़ बयालीस लाख अठाईस हजार रखा गया। इस पैसे का जिले में विभाग के अंतर्गत वितरण किया जा रहा है। यह सीमित खेतों वाले यानि एक से दो हेक्टेयर वाले किसानो को दिया जायगा। बड़े किसानों को नहीं।
रिपोर्टर – गीता