जला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, गांव करौंदिहायी 25 अप्रैल को सुबह 10 बजे करौंदिहायी गांव में भीषण आग लग गई। आज इतनी तेज थी कि जल्द ही सभी घर जल कर राख हो गये। कुछ ही देर में घरों का सारा सामान, अनाज और धन-संपत्ति सब नष्ट हो गई। उस दिन पैंतीस वर्ष की छैला की बेटी की भी शादी थी। घर में रखा शादी का सारा सामान जल गया। चार दिवारी के बीच से, टूटे-फूटे खपरैल पर चलते हुए छैला अपना घर दिखा रही थी. शादी के लिए जो गेंहू और चावल लेके आये थे वह जलकर खाक हो गया, आटा और चीनी जम गए, शादी के कुछ बचे कार्ड भी जल गए।
छैला की पांच बेटीयां हैं और एक बेटा। दूसरी बेटी संगीता की शादी थी। आग लगने के कारण संगीता की शादी रुक गयी, जिसे बाद में पूर्व सांसद आर.के.पटेल के द्वारा पूरा करवाया गई।
लोगों का कहना था कि इस आग में, मुट्ठी भर अनाज भी नहीं बचा।
राधेश्याम और शैलेन्द्र कुमार के घरों को भी आग ने जला दिया। उनके घर की छत जलते हुए घर में आ गिरी जिससे उनके संदूक में रखी उनकी नौ महीनें की आमदनी जो लगभग डेढ़ लाख रुपये की थी और उनके पिताजी के साठ हजार रुपयों संग सारे जेवर भी जल गए.। साथ ही उनकी मोटरसाइकिल भी जल गयी।
इस हादसे में दो और बच्चे भी झुलस गये, जबकि पांच जानवर जलकर मर गये। फिलहाल लोग हर दिन स्कूल जाते है जहां दो बार का खाना मिल रहा है। कपडों की कोई व्यवस्था नहीं है, ना डॉक्टर की। पचासी परिवारों के गाँव में 62 घर जल गए है।
27 अप्रैल को गाँव में पत्रकारों के साथ राजनैतिक दलों से नेता और प्रशासन की तरफ से राजापुर एस.डी.एम भी आये हुए थे। लेखपाल महेंद्र सिंह के मुताबिक 58 घर पूर्ण जल गए और 4 आंशिक रूप से जले है।
हादसे के तीन दिन बाद भी लोगों को आधारिक सुविधाएँ नहीं मिली है। आग कैसे लगीए यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
राहत की सामग्री तो गाँव तक पहुँच चुकी है लेकिन जब तक राजनैतिक दल सामग्री बाटने का शुभारम्भ नहीं करते है तब तक पीडि़तोें को कतार में खड़ा ही होना है।
स्कूल के मैदान में वरिष्ट सपा नेता नरेन्द्र गुप्ता लोगों के लिए खुद राहत लेके आये थे, 25 कुंतल गेहूं और पांच कुंतल आलू।
करौंदिहायी के रहने वाले ललित कुमार नौशाद का कहना है कि सर्कार और प्रशासन कुछ नहीं किया है।
पहले दिन बसपा के नेता आये थे और उन्होंने सबके लिए भोजन का इंतजाम करवाया।
तीन दिन बाद सपा के नेता कर्वी के विधायक वीर सिंह स्कूल के सामने सडक के उस पार मैदान में प्रशासन राहत की सामग्री लेकर पहुंचे।
हर परिवार से दो लोगों को बुलाया गयाए फिर सामान का एक सेट बनाया गया।
एक सेट में ग्लासए कटोरी, बाल्टी, तसला, चमच और थाली, तवा, टीनिया और लोटा। तीन दिन के खाद्यान के पैकेट भी बने थे। एक पैकेट में आटा, चने की दाल, तेल, आलू, टमाटर, प्याज और चावल।
अप्रैल में भीषण गर्मी के कारण चित्रकूट जिले के कई क्षेत्र मे आग लग रही है। सारी संपत्ति खोने के बाद एक परिवार वापस अपना घर कैसे बसाये? क्या इसका अंदाजा प्रशासन को है?