फैजाबाद मा अयोध्या के किनारे बसे गांवन मा हर साल मनईन का बाढ़ कै समस्या झेलै का पराथै। हर साल की तरह यहि बार भी बाढ़ आई अउर केतना घर बहि गये। मनई आपन सामान अउर जानवरन के साथे सुरक्षित स्थान पै जात अहैं।
मूड़ाडीहा, पूरे चेतन, माझा सलेमपुर, पिपरी संग्रामपुर जैसे गंावन मा हर बार मनईन का बाढ़ कै समस्या झेलै का पराथै। बाढ़ के कटान मा हर बार मनई कै छप्पर नुमा घर बहि जाथै। मनई परेषान अहै कि हर बार यही समस्या। एक तौ कउनौ तरह छान छप्पर कै घर बनाय के गुजारा कीन जाथै। उहौ बासढ़ बहाय लै जायै। षासन-प्रषासन भी नाय कहत कि हर साल के समस्या से निजात दिलाय दियै। कहूं सुरक्षित स्थान पै रहै कै व्यवस्था कै दियै। का सरकार यकै सुविधा नाय दियत? वइसे तौ षासन-प्रषासन रासन के व्यवस्था हर बाढ़ मा करावाथै लकिन जब रहै कै जगह न रहे तौ मनई कवन मेर आपन गुजारा करे? बाढ़ के पहिले सुरक्षित स्थान पै जाए का कहि जाथै लकिन मनई जानवर अउर सामान लइके कहां जाए? अयोध्या बंधा पै घास फूस मा कब तक गुजारा होये? लकिन मजबूरी मा आपन आषियाना छोड़ै का पराथै।