पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं। वर्तमान स्थिति ने राज्य सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
जिला मोरादाबाद। 12 जून को जिले के राजपुरा गांव की एक सोलह साल की लड़की की लाश गांव के बाहर पेड़ से लटकी मिली। ग्यारहवीं कक्षा की यह छात्रा एक रात से गायब थी। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
जिला फैज़ाबाद। 10 जून को रुदौली ब्लाक के एक गांव में रमेश यादव नाम के पड़ोसी पर छह साल की लड़की के बलात्कार का आरोप है। लड़की की डाक्टरी जांच के बाद यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है।
फैज़ाबाद के एक अस्पताल में काम कर रही एक नर्स ने अपने साथ काम करने वाले एक व्यक्ति पर उसे नशे की दवा देकर बलात्कार का आरोप लगाया और उसके बाद से उसे लगातार डरा धमका भी रहा था। नर्सों के एक संगठन ने कारवाही की मांग करते हुए धरना भी दिया पर अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
जिला हमीरपुर। 9 जून की रात अपने पति को जेल से छुड़ाने गई एक औरत ने स्थानीय पुलिस अफसर पर थाने में ही बलात्कार का आरोप लगाया है। चैंकाने वाली बात है कि वहां मौजूद दो कांस्टेबलों ने भी दखल नहीं दिया।
लेकिन कुछ ही घंटों बाद उस महिला ने अपना बयान वापस ले लिया। पुलिस अधिकारियों ने भी इसके बाद कहा कि जिस अफसर पर आरोप था वह उस समय बांदा में था। बांदा के डी.आई.जी. अमिताभ यश ने कहा कि डाक्टरी जांच में भी बलात्कार साबित नहीं हुआ था और पूरे केस की जांच की जाएगी।,
बढ़ते मामलों ने सपा के राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। यह देखते हुए 11 जून को मुख्यमंत्री ने छत्तीस अधिकारियों का फेर बदल किया।
सुरक्षा व्यवस्था – किसकी जि़म्मेदारी?
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