नई दिल्ली। एक ऐतिहासिक फैसले में देश के उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को पंद्रह ऐसे अपराधियों की फांसी की सज़ा माफ कर दी, जिन्होंने सालों से राष्ट्रपति को माफी की दरखास्त दी हुई थी। मानव अधिकारों पर काम कर रहे कई संगठनों ने इस फैसले को सराहा है।
इस फैसले के साथ कोर्ट ने 2013 में दिया गया फैसला बदलते हुए कहा कि यदि माफी की दरखास्त पर राष्ट्रपति तय करने में लंबा समय लें तो फांसी माफ की जा सकती है। इस ही आधार पर कोर्ट ने इन पंद्रह अपराधियों की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि माफी की दरखास्त नामंज़ूर होने के चैदह दिन बाद तक अपराधी को फांसी हो जानी चाहिए। कोर्ट के अनुसार सालों तक ना पता चलना कि उनकी माफी की दरखास्त का क्या अंजाम होगा – अपने आप में सज़ा है।