केंद्र को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के कर्मचारियों को ‘कानून के अनुसार’ पदोन्नति में आरक्षण देने की अनुमति दे दी है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र की दलीलों पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों और शीर्ष अदालत द्वारा 2015 में इसी तरह के एक मामले में ‘यथास्थिति बरकरार’ रखने का आदेश दिए जाने से की वजह से पदोन्नति की समूची प्रक्रिया रुक गई है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि केंद्र के कानून के अनुसार पदोन्नति देने पर ‘रोक’ नहीं है। पीठ ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि मामले पर आगे विचार किया जाना लंबित रहने तक भारत सरकार पर कानून के अनुसार पदोन्नति देने पर रोक नहीं है और यह आगे के आदेश पर निर्भर करेगा।’
सरकार ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर दिल्ली, बंबई और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अलग-अलग फैसले हैं और शीर्ष अदालत ने भी उन फैसलों के खिलाफ दायर अपील पर अलग-अलग आदेश दिए थे।
बता दें कि प्रमोशन में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के अपने-अपने आदेश के वजह से कार्मिक विभाग ने 30 सितंबर 2016 को एक आदेश निकालकर सभी तरह की प्रमोशन पर रोक लगा दी थी। इसी दौरान प्रमोशन को लेकर परेशान कर्मचारी इधर से उधर फिर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट: एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने पर रोक नहीं
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