सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग(सम्मान के लिए हत्या) और खाप पंचायत के फैसलों पर आपत्ति जताते हुए ये फैसला सुनाया है कि खाप पंचायत या किसी गैरकानूनी जमावड़े द्वारा दो व्यस्कों की शादी को रोकना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
इससे पहले फरवरी में हुई सुनवाई में ऑनर किलिंग पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए खाप पंचायतों को फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी पंचायत दो बालिगों की मर्जी से की गई शादी में हस्तक्षेप करती है तो इसे गैरकानूनी माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों वाली बेंच की अध्यक्षता खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कर रहे थे। इस बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी थे।
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि यह दिशानिर्देश तब तक जारी रहेगी जब तक इस पर कोई कानून नहीं आ जाता।
सुप्रीम कोर्ट में शक्ति वाहिनी नाम के एनजीओ ने खाप पंचायतों के खिलाफ याचिका दायर की थी।
इससे पहले जनवरी में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। कोई पंचायत, खाप पंचायत, सोसायटी या कोई शख्स इस पर सवाल नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार खाप पंचायतों पर बैन नहीं लगाती तो कोर्ट इस पर कार्रवाई करेगा।