आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 11 सितम्बर को इकबाल मैदान में हुए जलसे के दौरान मुस्लिम महिलाओं ने हाथ उठाकर कहा कि हम अपने दीन (धर्म) और शरियत में दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन शरियत की व्यवस्था बेहतर है। तलाक शरियत का ही एक हिस्सा है। देश में धार्मिक स्वतंत्रता के तहत मुस्लिम पर्सनल लाॅ पर अमल करने का हमें जो हक मिला है, उसे बरकरार रखा जाए।
बोर्ड की वुमन विंग की मुखिया डॉ. असमा जोहरा ने कहा कि शरियत में इंसाफ का मुकाम है। महिलाएं न मजलूम हैं, न कमजोर। यह पुरातन दृष्टिकोण है।
उनका मानना है कि सुनियोजित तरीके से दीन को बदनाम करने की कवायद चल रही हैं। इस्लाम और शरियत के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
डॉ. जेहरा कहा कि पूरे देश में अब महिलाओं में धार्मिक जागरूकता लाने वाले कई प्रोग्राम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह अब एक आन्दोलन का रूप लेगा।
सुप्रीमकोर्ट के तीन तलाक के खिलाफ खड़ी होगी मुस्लिम महिलाएं
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