ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 10 सितम्बर को कहा कि मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर हमले का प्रयास किया जा रहा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भोपाल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की पहली बैठक हुई जिसमें यह माना गया कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है, लेकिन शरीअत में किसी भी प्रकार का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बोर्ड ने फिलहाल कोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए कानूनी जानकारों की दस सदस्यीय समिति बनाने का फैसला किया है। यह समिति इस बात का अध्ययन करेगी कि कोर्ट के फैसले में शरीयत को लेकर कोई विसंगति तो नहीं है।
वहीं, बाबरी मस्जिद मामले पर बोर्ड ने कहा कि किसी खास पार्टी के सदस्य के कहने पर कोर्ट जल्दबाजी कर रहा है।
बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि एक साथ तीन तलाक पाप है, लेकिन वैध है।
कमाल फारूकी ने कहा कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला है। केंद्र सरकार संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर रही है और मुस्लिम समुदाय इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।
बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों को जागरूक करने के लिए नए कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके लिए बोर्ड ने केंद्र सरकार से वित्तीय मदद भी मांगी है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुसलमानों में 1400 वर्षों से प्रचलित एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक करार देकर निरस्त कर दिया था।