खबर लहरिया औरतें काम पर सीमा पार लड़कियां देख रही हैं ‘सेना प्रमुख’ बनने के सपने

सीमा पार लड़कियां देख रही हैं ‘सेना प्रमुख’ बनने के सपने

साभार: एएफपी

पाकिस्तान के एक स्कूल की छात्रा दुरखानी बानूरी का सपना सैन्य प्रमुख बनने का है, जो कि इस पितृसत्तात्मक देश में लड़कियों के लिए असंभव है।
धुर कट्टरपंथी उत्तरपश्चिम इलाके में इस साल स्थापित, पाकिस्तान के अब तक के लड़कियों के पहले कैडेट कॉलेज में 13 वर्षीया छात्रा दुरखानी उत्साह से भरी है और उसे यकीन है कि सैन्य प्रमुख बनने का उसका सपना पूरा होगा।
वो कहती हैं कि मैं सेना प्रमुख बनना चाहती हूं। जब एक महिला प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और स्टेट बैंक की गवर्नर बन सकती है, तो वह सेना प्रमुख भी बन सकती है। मैं इसे मुमकिन बनाऊंगी, आप देखियेगा।
इस्लामाबाद से करीब 110 किलोमीटर दूर आतंकवाद प्रभावित खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मरदान में दुरखानी और उसकी 70 सहपाठी ने अपने लिए काफी ऊंचे लक्ष्य तय किये हैं।
बताते चले कि वर्ष 2016 के एक सरकारी अध्ययन के अनुसार, पाकिस्तान में 2.4 करोड़ बच्चे स्कूल से वंचित है। इसमें लड़कियों की संख्या 1.28 करोड़ और लड़कों की संख्या 1.12 करोड़ है। सैकड़ों लड़के देशभर में इन कैडेट कॉलेजों में पढ़ाई करते हैं। हालांकि, मरदान में एक खास कॉलेज के अपवाद को छोड़कर इन प्रतिष्ठित स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश की अनुमति नहीं है।