भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) ने अपने यहां लैंगिक संतुलन बनाने के लिए इस साल लड़कियों के लिए विशेष आरक्षण शुरु किया है, जिसके तहत ही सीबीएसई की एक पहल से छात्राओं को आईआईटी–जेईई की परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद मिल रही है।
परियोजना ‘उड़ान’ से 135 छात्राओं को इस साल आईआईटी में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई–मेन्स) उत्तीर्ण करने में मदद मिली है।
‘न्यू इंडिया’ की सोच के साथ इस योजना में उन बालिकाओं को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क प्रशिक्षण, मार्गदर्शन, व्याख्यान और अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाती है जिन्होंने कुल 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक हासिल किये हैं तथा विज्ञान और गणित विषयों में कम से कम 80 फीसदी अंक प्राप्त किये हैं।
उड़ान की साठ शहरों में कक्षाएं लगाई जाती हैं। इनके अलावा हेल्पलाइन सेवा है जो संशय दूर करती है।
सीबीएसई के अध्यक्ष आर के चतुर्वेदी ने बताया, यह परियोजना प्रतिभाशाली बालिकाओं को सामान्य विषयों के बजाय विज्ञान और गणित के अध्ययन की ओर प्रोत्साहित करती है। इसमें उन्हें जरुरी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा, योजना आधुनिक तकनीक पर आधारित है जो किसी छात्रा को बिना घर से निकले रोजाना प्रशिक्षण की सुगमता प्रदान करती है। अध्ययन सामग्री पहले से टैबलेट पर डाली गयी है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस साल 135 बालिकाओं ने ‘उड़ान’ पहल की मदद से जेईई–मुख्य परीक्षा में सफलता अजर्ति की है। पिछले साल उत्तीर्ण छात्राओं की संख्या 143 थी।
चतुर्वेदी ने कहा, देखा गया है कि इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में बालिकाओं की भागीदारी बहुत कम है। 75 प्रतिशत से अधिक पंजीकृत अभ्यर्थी लड़के हैं। इस योजना का मकसद छात्राओं को मुख्यधारा में लाना और उन्हें सामाजिक, आथर्कि या सांस्कृतिक अड़चनों को दूर करते हुए भविष्य में नेतृत्व की भूमिका के लिए तैयार करना है। यह योजना छह लाख रपये से कम वाषर्कि आय वाले परिवार की बच्चियों के लिए है।