सुप्रीमकोर्ट 2016 में दिए गये अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है। इस फैसले में सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना और दर्शकों का इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य किया गया था।
30 नवंबर 2016 के अपने इस फैसले के करीब 11 महीने बाद ही मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर कोर्ट अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि देश के नागरिकों के लिए हर जगह अपनी देशभक्ति साथ लेकर चलना अनिवार्य नहीं है।
कोर्ट ने कहा,”हमें हर जगह अपनी देशभक्ति लेकर चलने की जरूरत क्यों है? वैसे भी सिनेमा हॉल मनोरंजन की जगह है। आपकी सरकार है, आपके पास ताकत है। ऐसे में इसका भार आप कोर्ट पर क्यों डाल रहे हैं? आप खुद ऐसा क्यों नहीं करते हैं?”
इस मामले पर अगली सुनवाई अब 9 जनवरी को होगी।