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इसमें बिरला विधवा आश्रम, दुर्गाकुंड आश्रम के अलावा अन्य आश्रम की औरतों ने हिस्सा लिया। होली के इस उत्सव की शुरुआत सुलभ इंटरनेशनल नाम के गैर सरकारी संगठन ने की है। संस्था के मुखिया डा. बिंदेश्वर पाठक ने बताया कि हमने अस्सी घाट को इस उत्सव के लिए चुना। इस घाट में सबसे ज़्यादा भीड़ भाड़ रहती है। जब हमने इन औरतों से होली खेलने का सुझाव रखा तो वह घबरा गईं। क्योंकि यह परंपरा के खिलाफ माना जाएगा।
समाज में इन औरतों को रंग से खेलने की अनुमति नहीं है। लेकिन जब हमने समझाया कि रुढि़वादिता तोड़ने की तरफ आप लोगों द्वारा उठाया गया बेहद सराहनीय कदम होगा। पहले कुछ औरतें आगे आईं। फिर ज्यादातर औरतों ने जमकर होली खेली।