इस हफ्ते भारतीय जनता पार्टी की आवाज उत्तर प्रदेश में गूंज उठी और पार्टी का दोहरा चेहरा सामने आया, एक इलाहबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक से और दूसरा, पश्चिम उत्तर प्रदेश के कैराना गांव के पलायन वाले मुद्दे से। इस बैठक में भाजपा के सारे मुख्य कार्यकारणी के सदस्य, केंद्रीय मंत्री मंडल, महासचिव और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित थे। जिसमें 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव पर निशाना साधते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बढ़ा-चढ़ा कर भाषण दिया।
इस भाषण में भी हमेशा की तरह, पंचायत से लेकर संसद तक, भाजपा के पास हर समस्या का एक हल है और वो है “विकास”। इसके साथ-साथ मोदी ने सात ‘स’ के मंत्र भी दिए, जो है सेवाभाव, संतुलन, सैयम, समन्वय, सकारात्मक, संवेदना और संवाद। मोदी ने यह भी कहा कि सिर्फ नारेबाजी से देश की कोई तरक्की नहीं होगी।
इसी हफ्ते कैराना के विधायक हुकुम सिंह ने ‘कैराना से पलायन करने वाले हिन्दू परिवारों की सूची’ जारी की थी। इस सूची के अनुसार, 346 ‘हिन्दू परिवार’ कैराना को छोड़कर चले गए। हुकुम सिंह का कहना था कि कैराना में हिन्दू परिवारों को साम्प्रदायिकता का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह से कैराना की जनसांख्यिकी में बहुत बदलाव आया है।
मीडिया और यूपी पुलिस की जांच के बाद सूची का सच सामने आया है। दरअसल, इन 346 परिवारों में से ज्यादातर लोग एक दशक से पहले कैराना छोड़ चुके थे, कुछ लोगों की मृत्यु हो गई थी और कुछ, कैराना के एक गैंग की दहशत से भाग चुके थे। इन ‘हिन्दू परिवारों’ के अलावा, सौ से भी ज्यादा मुस्लिम परिवार भी कैराना से पलायन कर चुके हैं।
एक चैनल के खुलासा किया कि भाजपा के हुकुम सिंह का बयान झूठा था। कैराना में साम्प्रदायिकता का नहीं बल्कि लॉ एंड आर्डर की समस्या है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हुकुम सिंह के इस गलत बयान को भाजपा के सचिव अमित शाह ने भी बढ़ावा दिया।
एक तरफ पार्टी सकारात्मक, सैयम और संवाद की बात करती है तो दूसरी ओर कैराना में मुजफ्फरनगर के दंगो जैसा माहौल बनाना चाहती है। क्या भाजपा के विधायक अपने प्रधानमंत्री की बातें नहीं सुन रहे हैं? क्या यह प्रधानमंत्री की शेह पर ही हो रहा है? या भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बना कर वोट बटोरना चाहती है?
साम्प्रदायिक मुद्दों को ढाल बना कर 2017 के चुनाव जीतना चाहती है भाजपा!
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