छेड़छाड़, पीछा करने या दुष्कर्म प्रयास जैसे यौन अपराधों में मेडिकल टेस्ट का 20 वर्ष पुराना प्रावधान रद कर दिया गया है। अब केवल दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म मामलों में ही पीड़िता का मेडिकल परीक्षण करवाया जाएगा।
सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निरोधक) संशोधन कानून, 2016 के तहत यौन अपराध की शिकार महिला के लिए राहत राशि को बढ़ाया गया है। पहले 75 हजार रुपये से साढ़े सात लाख रुपये की राहत का प्रावधान था जिसे अब अपराध की प्रकृति के अनुसार बढ़ा कर 85 हजार से सवा आठ लाख तक कर दिया गया है।
सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे पहले राशि का 50 प्रतिशत भुगतान मेडिकल जांच के बाद, और बाकि मुक़दमे की जांच के बाद होता था.
नये नियमों के अनुसार,अनुसूचित जाति, जनजाति की महिलाओं के साथ हुए यौन अपराधों में अब अपराध होने के 60 दिन के भीतर कारावाही और आरोप पत्र दायर करना जरूरी होगा।