जि़ला बांदा। वैसे लाइफ फुल पैसा वसूल वाली बात मोबाइल फोन सिम कम्पनी यूनिनाॅर ने चलाई है लेकिन साइबर कैफे में जाकर कम पैसे में फुल इंटरनेट का फायदा लेना भी लाइफ फुल पैसा वसूल जैसे ही है। कमी इस बात की है कि इस फायदे का मज़ा ज़्यादातर युवक ही उठा रहे हैं।
पद्माकर चैराहे के साइबर सिटी इंटरनेट कैफे को चलाने वाले मनुज का कहना है कि उनके साइबर कैफे में आॅफिस कार्य, जाॅब और मनोरंजन करने वाले युवक, युवतियों व बच्चों की दिन भर भीड़ बनी रहती है। खासकर बच्चे मनोरंजन के लिए गेम खेलने आते हैं। ‘‘हमारे यहां इंटरनेट पर अच्छी स्पीड और कनेक्टिविटी मिलती है। यहां पर आनेवाले लोग हिन्दी, अंग्रेज़ी टाइपिंग, लेआउट, ईमेल, फेसबुक, गूगल सर्च व मनोरंजन में गेम, गाने के वीडिओ और मूवी भी देखते हैं। लगभग 20 प्रतिशत युवतियां भी आती हैं। ज़्यादातर एक घंटे कम्प्यूटर पर बैठते वाले ही आते हैं। एक घंटे एक सिस्टम इस्तेमाल करने के दस रुपए मिलते हैं। आठ से दस हज़ार रुपए महीने का इंटरनेट चार्ज आता है।’’ इतना सस्ता इंटरनेट मिलने के बावजूद युवतियां सिर्फ बीस प्रतिशत ही आती हैं, ऐसा क्यो? क्या वह साइबर कैफे में जाकर युवकों और बच्चों जैसे काम नहीं करना चाहतीं या उनको घर से इजाज़त नहीं मिलती? उन्हें पैसे कहां से मिलें?
मैं भी साइबर कैफे में काम करने के लिए जाती हूं तो वहां पर युवक ही नज़र आते हैं। इक्का दुक्का युवतियां आती हैं वे भी सिस्टम पर खुद काम नहीं करतीं। क्या युवतियां और महिलाएं इंटरनेट की दुनिया में पीछे हैं? क्या कभी वह दिन आएगा जब अस्सी से सौ प्रतिशत महिलाएं यहां पर होंगी?
साइबर कैफे में भी लाइफ फुल पैसा वसूल
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