नई दिल्ली। संसद के इस सत्र में 5 फरवरी को यू.पी.ए. सरकार के सांप्रदायिक हिंसा बिल को विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने राज्यसभा में पेश नहीं होने दिया।
इस बिल को कांग्रेस पार्टी चुनाव के पहले पास कराना चाह रही थी। कांग्रेस के मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि इस बिल के पास होने से गुजरात और मुज़फ्फरनगर जैसे सांप्रदायिक दंगों को रोका जा सकेगा। इस पर विपक्षी पार्टी, खासकर भाजपा के नेताओं ने विरोध किया और कहा कि इस बिल को पास करने से राज्य सरकारों पर पाबंदी लग जाती है। राज्यसभा में इस मामले पर बहुत बहस हुई। भाजपा और कई और पार्टियों का मानना है कि यदि ऐसा कानून बनाना है तो हर राज्य की सरकार अपने राज्य के लिए इसे बना सकती है। यह फैसला केंद्र सरकार का नहीं हो सकता है।