सहारनपुर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक बार फिर सांप्रदायिक दंगों की वजह से चर्चा में है। सहारनपुर में सिख और मुस्लिम समुदाय के बीच 26 जुलाई को हुए विवाद ने सांप्रदायिक दंगों का रूप ले लिया। हिंसक झड़पों के दौरान तीन लोगों की मौत और तेंतीस से ज़्यादा लोग घायल हुए। इलाके में तनाव की स्थिति को देखते हुए अभी तक कफर््यू लगा हुआ है। सहारनपुर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पांडेय ने बताया कि 31 जुलाई को दंगे के मुख्य आरोपी मोहर्रम अली के साथ पांच अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुुलिस की मानें तो विवाद शहर के कुतुब शेख इलाके में एक गुरुद्वारे की ज़मीन को लेकर शुरू हुआ। गुरुद्वारा मस्जि़द के पीछे था और मुस्लिम समुदाय ने निर्माण को लेकर आपत्ति की थी। दोनों समुदायों में पहले कहा सुनी हुई, फिर पथराव उसके बाद दुकानों में आग लगाई गई।
उठ रहे कई सवाल
मुज़फ्फरनगर दंगों की तरह ही इन दंगों में भी स्थानीय प्रशासन के सुस्त रवैए को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस अधिकारियों के सामने कहा सुनी से शुरू हुआ विवाद पथराव में बदला फिर आगजनी। तो वहां पुलिस क्या कर रही थी? दूसरे दिन करीब चार हज़ार लोग अंबाला रोड पर इकट्ठा हुए। दंगा और बढ़ा तब भी पुलिस ने सख्ती क्यों नही बरती? यह विवाद चार साल पुराना है। गुरुद्वारे का निर्माण भी काफी समय से चल रहा है फिर अचानक ऐसा कैसे हुआ? प्रदेश में 2013 में दो सौ सैंतालीस दंगे हुए और 2014 में अब तक सतहत्तर दंगे हो चुके हैं। प्रदेश की समाजवादी सरकार ने मुज़फ्फरपुर दंगो से क्या कोई सबक नहीं लिया?