आधार कार्ड बनावै के योजना तौ सरकार लागू कइ दिहिस हवै। आधार कार्ड बनवावै खातिर मड़ई रोजै ब्लाक अउर तहसील के चक्कर लगावत हवै, पै उनके आधार कार्ड नहीं बन पावत आय।
सरकार हर बरस कउनौ न कउनौ योजना निकारत हवै। पहिले पहिचान पत्र तौ फेर आधार कार्ड। आखिर सरकार कहां तक मड़इन का प्रारूप जुटावै चाहत हवै। मड़ई पहिले से ही परेषान रहत हवै। उंई विधवा, वृद्धा अउर विकलांग पेंषन लें खातिर विभाग के चक्कर लगावत हवै। मड़इन के गोड़न के एड़ी तक घिस जात हवै, पै उनका पेंषन नहीं मिलत आय। अब तौ सरकार आधर कार्ड बनवावै से अउर ज्यादा मड़इन के समस्या बढ़ा दिहिस हवै। मड़ई कहां तक का-का प्रारूप बनवाई?आधार कार्ड बनवावै खातिर मड़ई आपन काम धंधा छोड़ के आवत हवैं। जबैकि गांव का मड़ई मजूरी कइके आपन गुजर करत हवै। अगर मड़ई काम धंधा न करिहैं तौ कसत गुजर होइ। या बात के जवाब देही केहिके आय। जबैकि सरकार जनता के समस्या खतम करत हवै न कि समस्यन का अउर बढ़ावत हवै। आधार कार्ड अउर योजना का लागू करै के व्यवस्था मा कमी होय के कारन सा समय सरकार आधार कार्ड के योजना का लागू कइके मड़इन के समस्या का खतम नहीं करिस बल्कि अउर एक नई समस्या ठाढ़ कइ दिहिस हवै। आखिर सरकार कबै तक मड़इन के प्रारूप इकट्ठा करी?