केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) “मांग आधारित योजना” है और उसने राज्यों द्वारा कोष की मांग में कोई कटौती नहीं की है।
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ से कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है जहां केन्द्र ने कानून के तहत रोजगार के दिनों की संख्या में या तो सीमा तय की हो या राज्यों को कोष जारी नहीं किया हो।
उन्होंने कहा, ‘हमने राज्यों को बढ़ी हुई राशि का भुगतान किया है। मनरेगा मांग आधारित योजना है और किसी भी चरण में कोष के लिए राज्यों की मांग में केन्द्र सरकार द्वारा कटौती नहीं की गई है।’
वेणुगोपाल ने एनजीओ से राजनीतिक दल बने ‘स्वराज अभियान’ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण की दलीलों का जवाब देते हुए ये टिप्पणियां कीं।
भूषण ने अदालत में दावा किया कि कोष के अभाव में राज्य लोगों को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘सौ दिन के रोजगार की कानून में व्यवस्था है। यह कानूनी बाध्यता है।