सरकार बदलतै गरीबन के पेट मा लात मारी जात हवै। का नियम हर सरकार आबै के बाद शुरू होइ जात हवै? सरकार बदलतै गरीबन के पेट मा लात मारी जात हवै। का नियम हर सरकार आबै के बाद शुरू होइ जात हवै? पै उंई गरीब अउर असहाय से पूछौं जउन पेंशन के सहारे आपन पेट रोटी चलावत हवैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गरीब मड़ई खातिर समाजवादी पेंशन शुरू करवाइस रहै। जउन बहुतै मड़इन का मिलत रहैं। जेहिस मड़ई बहुतै खुश रहै। या पेंशन खातिर रहै खासियत रहै की या मेहरियन का मुखिया चुना गा रहै अउर उनहिन का प्रति महीना पांच सौ रुपिया मिलत रहै। जेहिसे पचासी हजार मड़इन का पेट रोटी पेंशन से चलत रहै। पै 2017 मा वर्तमान मुख्यमंत्री योगी के आवै के बाद पेंशन मा रोक लगा दीन गे हवै। या से मड़ई बहुतै परेशान हवैं। सरकार का कहब हवैं कि पहिले जांच होइ कि कउन पावत हवै कउन नहीं आय। तबै सोचा जई कि पेंशन दीन जई कि नहीं। पै उंई भूखे मड़ई कंहा आपन समस्या सुनावै जेहिके लगें कुछौ भी खाय का नहीं आय। सरकार बदलतै काहे इनतान होत हवै? जनता के बल से नेता मंत्री विधायक अउर सांसद बनत हवै पै जनता का भूखै मरै का परत हवै। का सरकार यहिके अलावा कुछ अउर फैसला नहीं कइ सकत आय? कम से कम गरीबन का पेट तौ न मारा जाए? सरकार के कबै तक चली यही के बारे मा कुछौ जानकारी नही आय?जनता अपन समस्या अगर समाज कल्याण विभाग मा कहत हवै तौ अधिकारी कहत हवैं सरकार से कहो हम कुछ नहीं जानित आय? का सरकार केवल वोट ले का साथी हवैंं।
सरकार ने पेंशन भी बंद कइ दिहिस
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