फैजाबाद मा यहि समय बिजली अउर नहर दुइनौ धोख देहे बाय। जेसे फसल सूखात देख ग्रामीणन का काफी चिन्ता बाय। कहूं-कहूं तौ किसान धान कै फसल काटिके लाही बोवै लागिन। किसानन कै मानब बाय कि धान न सही सरसों ही होय जाए।
जहां एक तरफ बिजली समय पै न मिलै से जहां किसान परेषान अहैं वहीं दुसरी तरफ माइनर नहर भी सूखा पड़ा बाय। जहां पानी आवै कै सम्भावना बाय वहूं सफाई न हुवय से खेत तक पानी नाय पहुंचत बाय। यइसे मा किसान कहां तक इंजन से डीजल दइके सिंचाई करै। जेतना फसल नाय पैदा हुवत वसे ज्यादा सिंचाई होय जाथै। बिजली से सिर्फ सिंचाई दियै का पराथै लकिन बिजलरी तौ चारौ घेटा सही से नाय मिलत। तौ कवन मेर सिंचाई करै। हर हफ्ता यहि समय फसलन का पानी चाही। नाही तौ धान के बाली अन्दर मा सूख जाये।
भारत कृषि प्रधान देष माना जाथै लकिन जहां नहर कै सुविधा बाय। वहूं भठी हुवय से पानी खेत तक नाय पहुंचत बाय। मया ब्लाक के पौसरा राजबाहर षारदा सहायक नहर कै सफाई साल भर से न हुवय से भठी बाय। यइसे मा किसान धान तौ लगाय दिहिन लकिन सिंचाई न कै पावै से फसल सूखगै। सूखा कै आंषका देखके कहूं कहूं किसाल धान कै फसल जोतायके या खुद काटिके सरसों बोवत अहैं। धान न सही सरसों कै फसल तैयार होइ जाए।
सूखा के मार से किसान परेषान
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