भारत कृषि प्रधान देश माना जाथै। काहे से हिंआ कृषि कार्य बढि़ चढि़ के हुआथै। लेकिन पिछले दुई साल से किसानन का काफी निराश हाथ लागत बाय। जेसे किसान काफी निराश अहै।
पिछले दुई साल से किसान न कउनौ न कउनौ कमी से अच्छी पैदावार नाय कै पावत अहै। एक बार हुद हुद कै बारिस फसल तैयार होतै सब चैपट कै दिहिस अबकी सूखा। वहीं सरकार गांवन मा सरकारी ट्यूबवेल कै सुबिधादेहे बाय। जवन कहूं बढि़या चलत बाय तौ कहूं बिगरी पड़ी बाय। अउर कहूं नाली टूट बाय। कहू ट्रंस्फारमर के लोड न उठावै से ट्रंसर्फामर बंद बाय। जेसे किसानन के फसल पैदावार मा काफी दिक्कत हुवत बाय। पानी ही जीवन आय। चाहे फसल हुवय या मनई मा जानवरन के ताई।
अगर सर्वे कीन जाए तौ पैतालिस प्रतिशत सरकारी ट्यूबवेल कउनौ न कउनौ कारण से बंद मिलिहै। जेसे जहां किसानन का सरकारी ट्यूबवेल से सिंचाई कइके लाभ मिल जात रहा वही किसानन का अब इंजन से सौ डेढ़ सौ रूपया घंटा मजबूरी मा सींच का पुराथै।
अगर अधिकारी से बात करा तौ वै अलग आनपन पल्ला झाड़ दियाथिन। कहां तक किसान इधर उधर दउरै । जवन सरकार द्वारा सुविधा मिलाथै उहौ नाय मिल पावत यही सब समस्या से हर बार किसाानन के फसल मार जाथै।