जिला वाराणसी। जहां गरीबन के खातिर सरकार कई योजना चलइले हव। जेसे कि उ लोग के आसानी से गुजारा हो जाए। जइसे कि सरकारी आवास, राशन के। इ सब उ लोग खातिर के हव। जेकरे पास कमाए के कउनों सहारा नाहीं हव। जनता के मदद के जगह पर इ योजना में घूस चलत हव। आवास चाहे या शौचालय चाहे या कउनों आर्थिक मदद चाहे सब में घूस पहिले लगत हव।
बड़ा बड़ा घपला त खुल जाला। काहें से कि उ सब के त सरकारी हिसाब किताब रख्खल जाला। लेकिन इ सब घपला या घूस के का? जउन गावं में चलत हव। प्रधान से लेके वी. डी. ओ. तक कउनो योजना के खातिर के जब गरीब जालन त ओनके बार बार दउड़ावल जाला। जउन काम एक बार में होवे के चाही उ काम दस बार में भी बड़ी मुश्किल से होला। जेमे आवे जाए में ओनकर पइसा खर्च होला। आउर फिर कुछ पइसा घूस खातिर के देवे के हो जाला। सब मिला के इतना खर्चा हो जाला कि सरकारी मदद के बहूत छोटा हिस्सा ही हाथ आवला। जे इ सब ना करे ओके कुछ नाहीं मिल पावत। इ सबसे बचे के खातिर योजना पर ग्राम स्तर पर हमेशा नजर रखे के जरूरत हव। ऐसी सराकारी टीमें भी बनावल जा सकला। जउन समय समय पर गंाव में रूककर लगातार सरकारी योजना के निगरानी करे।
सरकारी योजना में लागल घूस के घुन
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