जिला वाराणसी। सरकार गरीबन के सुविधा खातिर के करोड़ो रूपिया खर्च करला। उ सब रूपिया कहाँ जात हव जब गरीब लोग के फायदा नाहीं होत हव। बनारस में ही सरकार के तरफ से स्वास्थ्य उपकेन्द्र बनल हव कि गरीब लोग के फ्री में इलाज हो जाई। लेकिन या तो वहां पइसा लेके इलाज होत हव। या तो खुलत नाहीं हव। अगर कहीं कहीं खुलत भी हव त कहीं ओमे बिल्ली लोटत हव त कहीं गावं वालन गोहरी रख्खत हयन।
इ त हाल हव वहां के उपकेन्द्र के सरकार एतना रूपिया खर्च करके का करी जब ओकर कउनों फायदा नाहीं होत हव। गावं वालन के भी दूर असपताल में जाए के पड़त हव। बिकापुर के उपकेन्द्र अक्सर बन्द रहला। जब कभी खुली भी त खाली वहां डिलीवरी होला। कमना आउर रौना उपकेन्द्र के अनीता आउर गायत्री के कहब हव कि डिलीवरी करवावे के पन्द्रह सौ रूपिया लगला। सरकार के तरफ से चैदह सौ त मिलला। लेकिन पन्द्रह सौ लग जाला। गरीब खातिर के सरकार योजना निकलले हव। लेकिन हर तरफ से गरीबन के ही मारन होत हव। नियम बना देवे से ही कुछ ना होई। सरकार के समय समय पर चेक करे के पड़ी कि योजना के लाभ कहाँ तक पहुचल। जेके सुविधा मिले के चाही ओके सुविधा मिलत भी हव कि नाहीं?