खातिर ग्रामीण क्षेत्र मा करोड़न रूपिया खर्च कइके अस्पताल के इमारत अउर ए.एन.एम. केन्द्र बनवावत है। जेहिसे मड़इन का सुविधा मिलै पै अगर स्वास्थ्य सुविधा के सच्चाई देखा जाय तौ कागजन भर मा है।
सवाल या उठत है कि अगर बांदा जिले मा सी.एम.ओ. आफिस के कमरा नम्बर आठ से मिलै वाले अस्पतालन के इमारत का आंकड़ा देखा जाय तौ पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अउर पैंतालिस नवीन स्वास्थ्य केन्द्र है। इं केन्द्र कागजन भर मा खुले है, पै गांवन के सच्चाई देखा जाय तौ उंई अस्पताल के इमारतन मा भूसा घास अउर कूड़ा भरा है या फेर कउनौ कब्जा कइके रहत है। का सरकार या सुविधा मड़इन का देत है। अगर यहिका जवाब ब्लाक या जिले स्तर मा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारिन से मांगा जात है, तौ उंई मानै का तैयार निहाय अउर इमारत हैण्डवर न होय के बात करत हैं। यहिसे तौ साफ पता चलत है कि सरकारी धन का केतना दुरूपयोग कीन जात है।
अगर शासन कइत से करोड़न रूपिया इमारत बनवावैं खातिर खर्च कीन जात है, तौ वहिके देखरेख होय का चाही। जउन गांव मा अस्पताल के सुविधा है। वा सुविधा का लाभ मड़इन तक पहुंचै का चाही न कि कागज मा ही रही जाय। सच्चाई या है कि सरकार जनता के लाभ खातिर सुविधा तौ करत है, पै पलट के नहीं देखत कि सुविधा सच मा उंई मड़इन तक पहुंचत है या नहीं। यहै एक कमी है जउन सरकारी धन का दुरूपयोग होत है।
सरकारी धन का होत दुरूपयोग
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