वृद्धा मनईन का मृतक देखाए कै बंद कराई दिया गै पेंशन। आखिर यकै जिम्मेदार के समाज कल्याण विभाग के फाइल मा जिंदा मनई का मृतक लिखा गै बाय। जब एक साल तक वृद्धा मनईन कै पेंशन नाय आय यहरी वहरी चक्कर काटत रहि गईन।
बैंक मा जाए तौ मैनेजर कहाथे पैसा नाय आय बाय ई कहिके लउटाए दियै प्रधान से कहै तौ कहै आय जाये। इहै कहत तीन साल बीत गा।
समाज कल्याण कै जहां से वृद्धा बेसहारा का सहारा मिलै का चाही जब वही फाइल मा जिंदा रहतै मर चुका हईन तौ उनका पेंशन कै लाभ कइसै मिले?
आखिर मृतक देखावै वाले के होय बिना जाने कइसै फाइल मा मृतक लिख दिहिन। यकै जांच करावै कै जिम्मेदारी केकर होय?
बुढ़ापा मा मनईन का वैसे बहुत दिक्कत हुआथै वतना शरीर मा बल नाय रहत की मेहनत मजदूरी कइकै आपन खर्चा चलावै। सरकार के तरफ से एक सहारा मिला तौ वहू मनईन तक नाय पहुंच पावत। जब कि नियम बाय कि साल मा दुई बार छह छह महीना मा पेंशन मिला थै। कुछ तौ उनकै दवाई, निरमा, साबुन भरे का खर्चा मिल जाथै। वहु मा भी सरकारी कर्मचारी वहूमा हेरा फेरी कराय के बंद करवाय देत हइन यहिके जिम्मेदारी केहिके आय। जिंदा का मुर्दा देखाय देब।
सरकारी कामन मा हेरा फेरी कै जिम्मेदार के?
पिछला लेख