वर्ष 2004 से 2014 के बीच के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ग्रामीण महिलाओं की पहुंच बढ़ी है।
संस्था ‘ब्रूकिंग्स इंडिया’ द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में ग्रामीण महिलाओं के जाने की संख्या में 24 फीसदी तक इजाफा हुआ है। बता दें कि अभी भी आधी ग्रामीण आबादी निजी स्वास्थ्य सेवा का उपयोग करती है, जो सरकारी अस्पतालों की तुलना में चार गुना ज्यादा महंगा है।
रिपोर्ट कहती है कि 2014 में समाप्त हुए दशक के दौरान, कुल मिलाकर सरकारी अस्पतालों पर बाहर से आने वाले रोगियों की निर्भरता में 6 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या में 7 फीसदी की वृद्धि हुई है।
भर्ती रोगियों को औपचारिक रूप से अस्पताल में कम से कम एक रात के लिए दाखिल किया जाता है, जबकि बाहर से आने वाले रोगी अस्पताल या क्लिनिक में केवल डॉक्टर से सलाह लेते हैं।
देखभाल की जरुरत वाले बाहर से आने वाले रोगियों ने वर्ष 2014 में भी काफी संख्या में निजी स्वास्थ्य केंद्रों का रुख किया। आंकड़ों में देखें तो यह संख्या 74.9 प्रतिशत है। लेकिन वर्ष 2004 में ये आंकड़े 79.7 फीसदी थे।
वर्ष 2004 में 78.2 फीसदी महिलाओं ने निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराया था, जबकि 2014 में सिर्फ 70.4 फीसदी महिलाओं ने इलाज के लिए निजी स्वास्थ्य केंद्रों की ओर रूख किया।
आंकड़ों से पता चलता है कि बाहर से आने वाले रोगियों की तुलना में भर्ती मरीज निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर कम निर्भर होते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों का रुख करने वाले भर्ती रोगियों के प्रतिशत में वृद्धि हुई है।
वर्ष 2004 में ये आंकड़े 42.3 फीसदी थे, जबकि 2014 में यह बढ़ कर 45.4 फीसदी हुए हैं। वर्ष 2004 में ग्रामीण महिलाओं के सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का प्रतिशत 45.1 फीसदी था, जबकि 2014 में यह 56.1 फीसदी हुआ है।
साभार: इंडियास्पेंड