जिला फैजाबाद, जिला अस्पताल। यहां सरकारी अस्पताल में जो मरीज दवा लेने आते है उनको अस्पताल से कुछ सस्ती दवा दे दी जाती है और मंहगी दवा बाहर से लिख दी जाती है। उनको अल्ट्रसाउंड के लिए भी बाहर ही जाना होता है।
गयादीन ने बताया कि हमारे पैर में मोच आ गई थी, उसकी भी दवा बाहर से लिख देते हैं। अगर दवा बाहर से लेनी पड़ती है तो सरकारी अस्पताल का क्या फायदा? इससे अच्छा हम लोग प्राइवेट अस्पताल में जाएं, वहां जल्दी काम हो जाता है। पैसा इसमें भी लगता है और उसमें भी।
सावित्री ने बताया कि हम तीन दिन से अल्ट्रासाउंड कराने के लिए आ रहे हैं, लेकिन नहीं होता है। जिस दिन जाते हैं उस दिन बोलते है कि कल आइए। जब अगले दिन जाते हंै तो बोलते हैं बाद में होगा। ज्यादा बोलने पर पर्ची फाड़ देते हंै। अस्पताल के ही एक मध्यम स्तरीय कर्मी के कहे अनुसार अस्पताल में जो अल्ट्रासाउण्ड होता है वो विष्वसनीय नहीं होता, प्राइवेट से कराना बेहतर है। ये ही नहीं, डाक्टर के बारे में पता भी बताया जो दो बजे तक अस्पताल में डियुटी करने के बाद अपने निजि क्लिनिक पर रहते हंै।
जब इस बारे में मुख्य अधीक्षक डाक्टर ए.सी. त्रिपाठी से बात की तो उनका कहना था कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। पैसे वापस करने का कोई नियम नहीं है। अगर डाक्टर बाहर से दवा लिख रहे हैं तो इसपर रोक लगाई जाएगी। कुछ दिनों से अल्ट्रासाउण्ड मषीन खराब थी। 23 जून को उसे भी ठीक करा लिया गया है।