बाँदा जिले के कन्दोहरा गांव में रहने वाली 16 साल की विनीता एक दलित परिवार से हैं। विनीता समाज को बदलने का सपना देखती हैं
विनीता की माँ एक सामाजिक संस्था में काम करती हैं। परिवार में विनीता और उनकी दो बहनें हैं। विनीता कहती हैं कि मेरा कोई भाई नहीं इसलिए मैं अपने माँ-बाप का बेटा हूँ। मैं एक दलित हूँ और दलितों के साथ होते अन्याय को देखती हूँ तो विरोध करने का मन होता है। हालांकि मैं अकेली हूँ लेकिन फिर भी मैं विरोध करती हूँ।
सिर्फ यही नहीं, स्कूल जाते हुए अक्सर जब सवर्ण जाति के लड़के हमें छेड़ते हैं तो मैं अकेले होने के कारण कुछ नही कर पाती। अफ़सोस होता है कि काश मेरी जैसी दूसरी लड़कियाँ इन लड़कों के छेड़ने पर मिल कर विरोध कर सकें तो शायद फिर कभी किसी की हिम्मत ही न पड़े हमारे साथ गलत व्यवहार करने की।
विनीता यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के जैसा बनना चाहती है और दलितों के लिए काम करना चाहती हैं। खास कर लड़कियों और महिलाओं को उनके हक के लिए लड़ना और अन्याय के खिलाफ बोलना सिखाना चाहती हैं।’
मुझे लगता है कि इस समाज को बदलने के लिए पढ़ना सबसे जरुरी है। इसलिए मैं भी जितना हो सकेगा उतना पढूंगी और अपनी बहनों, अपने समाज और सभी महिलाओं के लिए काम करुँगी।