फैजाबाद के अमसिन क्षेत्र मा पानी न पहुंचै से किसानन कै फसल सीचैं बिना खराब हुवय बाय। नहर कै सुविधा होते हुए भी किसानन कै फसल हर बार मार जाथै। अउर किसान पानी न आवै के गुहार लगावत रहि जाथिन। लकिन कभौ पानी आधा नहर आवाथै जवन खेत तक नाय पहुंत पावत तौ कभौ अउबै नाय करत।
जउने किसानन का सिर्फ नहर के पानी कै भरोसा बाय उनकै तौ सारी फसल चैपट होय जाथै। यतनी मेहनत कइके किसान फसल कै बोवाई कराथे। यही उम्मीद मा कि नहर कै पानी समय-समय पै मिलै तौ फसल कै अच्छी पैदावार होये। लकिन ई सोच पै किसानन के पानी फिर जात बाय। किसानन कै कहब बाय कि पिछली बार समय से पानी न मिलै से धान कै फसल मार गै रही। अब गेहू के फसल के साथे उहै हाल हुवय वाला बाय।
हर विभाग कै अलग-अलग अधिकारी कर्मचारी रहाथिन तौ का उनकै जिम्मेदारी नाय बनत बाय कि समय-समय पै सर्वे कहन जाए कि कहां पानी पहुँचत बाय कहां नाय। किसानन कै कहब बाय कि कभौ यतना पानी खोल दीन जाथै कि फसल डूब जाथै। यहि तरह से पानी छोड़े कवन फायदा? जहां किसानन कै फायदा न हुवय। विभागन कै चक्कर लगावै के बाद सुनवाई नाय हुवय। ई बात अधिकारी भी मानाथिन कि नहर मा पानी कम आवत बाय। कोशिश कीन जाये कि पानी खेत तक पहुंत सकै।
समय से नाय पहुंचत खेत तक पानी
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