जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगाँव , गाँव कादीपुर। इहाँ के बीस घर के मुसहर बस्ती के आबादी हव। इहाँ के मेहरारू गाजीपुर से पत्ता बीन के लिया के ओकर पत्तल जेमे कही कही खाना खाल जाला, बनाइला।
इहां के सुदामा, आरती, रामप्यारी, रमदेई समेत कई मेहरारून के कहब हव कि हमने एतना दूर पेट खातिर के जाइला। जंगल जंगल भटकल जाला तब कहीं जाके पत्ता पत्ता मिलला। पत्ता खातिर के ज्यादातर हमने गाजीपुर से महूआ के पत्ता तोड़ के लियावल जाला। हमने जब पत्ता तोड़ लेईला त ओके ले जाके कहीं बइठ के साफ करल जाला। फिर जब कही से कोई बयाना आके देला त हमने बनाइला। एक दिन में हमने कूल जाने मिल के तीन चार सौ के करीब बना लेईला। सौ पत्तल इनइले पर सौ रूपिया मिलला। हमनी के एको लइकी लइकन भी पढ़ाई नाहीं करलन। अगर हमने पढ़ाई करे खातिर के लइकन के भेज देब त हमने के खर्चा कइसे चली। अगर हमने काम ना करल जाई त खाल का जाई। यही त हमनी के रोजी रोटी हव। एकरे अलावा हमनी दूसरे के खेते में लवे बीने के भी काम करीला।
सब पत्ता खातिर
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