एक नए अध्ययन के अनुसार, 2030 तक भारत दुनिया में सबसे गरीब आबादी वाला देश नहीं रहेगा। ब्रुकिंग्स के ‘फ्यूचर डेवेलपमेंट’ ब्लॉग में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीबी की श्रेणी से बाहर निकलते जा रहा हैं।
भारत में बहुत तेजी से गरीबी घट रही है जो दुनिया के किसी भी देश से काफी अधिक है। कहा जा रहा है कि यदि भारत की ये रफ्तार ऐसे ही बरकरार रही तो वह इसी वर्ष इस दिशा में एक कदम और नीचे आ जाएगा। जिसके बाद दूसरे पायदान पर भारत की जगह कॉन्गो ले लेगा।
अध्ययन में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि अत्यंत गरीबी के दायरे में वो जनसंख्या आती है जिसके पास अपने जीवनयापन के लिए रोजाना 1.9 डॉलर यानि 125 रुपए भी नहीं होते।
अध्ययन के अनुसार, मई 2018 में उनकी ट्रैजक्टरीज से पता चला है कि भारत में 7 करोड़ 30 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। वहीं इनकी संख्या नाइजीरिया में 8 करोड़ 70 लाख है यानि यहां हर मिनट 6 लोग भीषण गरीबी की ओर जा रहे हैं।
भारत के गरीबी के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए वर्ल्ड बैंक बताता है कि 2004-2011 के बीच भारत में गरीबी की कुल आबादी 38.9 फीसदी से कम होकर 21.2 फीसदी पर आ गई, यानि अगर भारत का पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो भारत काफी तेजी से प्रगती कर रहा है।