भारत देश में बुन्देलखण्ड शिक्षा ओर विकास में सबसे पछाऊं हे तो का भओ कछू चीजन में सबसे अगाऊं हे। अगर बुन्देलखण्ड में सफाई व्यवस्था देखी जाय तो भले ही हर गांव ओर कस्बा में सफाई कर्मी नियुक्त करे गये हों, ओर सफाई खे लाने खास अभियान चलाओ गओ होय, पे सफाई न के बराबर नजर आउत हे।
हम बात करत हें बुन्देलखण्ड के महोबा जिला की जिते 2 अक्टूबर 2014 से सफाई अभियान चलत हे, पे ई सफाई अभियान खाली विभाग के कागजन में ही चल रहो हे।
ईखा ताजा उदहरण चरखारी ब्लाक को खरेला कस्बा ओर खुद महोबा शहर के साथे जिला के दसन गांव हें। जिते आज भी नाली नई बनी हे। अगर नाली ओर सफाई कर्मी की व्यवस्था भी हे तो ओते कूड़ा ओर कचरा फेंके खे लाने कोनऊ साधन नइयां। गांव ओर कस्बा की गली-गली में परे कूड़ा खे ढेर सफाई अभियान को मुंह चिढ़ाउत हें। सफाई खे लाने आओ तमाम रुपइया किते चलो जात हे पता भी नई चलत आय। अब सवाल उठत हे सरकार की सफाई व्यवस्था के ऊपर की जभे हर गांव ओर कस्बा में सफाई कर्मी नियुक्त हंे तो हर साल अलग से सफाई अभियान काय चलाओ जात हे? का जरूरी होत हे कि हर साल सफाई में रुपइया खर्च करो जाय? अगर सफाई खे लाने सरकार समय ओर रुपइया दोनो खर्च करत हे तो फिर हर जगह गन्दगी ओर कूड़ा के ढेर काय नजर आउत हे? का अब ऊ समय नई आ गओ हे कि सफाई कर्मियन खा राजस्व के आधार पे न करके आबादी के आधार पे करो जाय। देश के प्रधानमंत्री ने तो सफाई अभियान चला दओ हे, पे ईखे साथे सरकारी नीतियन में भी बदलाव लाये की जरूरत हे।
सफाई अभियान की उड़त धज्जियां
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