जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव मनकुंवार बीन बजा के मन बहलावै देखौ एक सपेरा आवा बच्चन के मन का बहलाइस कंधा मा टांग झोली बोलत हवै अदभुत बोली बच्चा पीछे दौउड़त हवै देखौ एक सपेरा आया।
सपेरा महन्त नाथ फेरु गांव गांव जा के सांप देखावै का काम करत हवै। सपेरा के बीन के आवाज सुन के छोट छोट बच्चा बहुतै खुश होत हवै अउर सांप देखे खातिर सपेरा के पीछे दौउड़ लगावत हवै।
सपेरा महन्त नाथ फेरु का कहब हवै कि आठ साल के उमर से मैं सांप, बिच्छू, विषखपड़ा का पकड़े का काम सीखे हौं। बचपन मा मोर महतारी बाप मर गे रहै। मोहिका दूसर कोउ पाला हवै उंई मोहिका भीख मांगे भेजत रहै तबै मैं अपने से सांप बिच्छू पकड़े सीखे हौं।
सांप का जड़ी सूंघा के पकड़ित हवै फेर वहिके जहरीले दांत तोड़ देइत हवै कत्तो कत्तो सांप काट भी लेत हवै तौ जड़ी लगावत हन कत्तो कत्तो जान तक चली जात हवै काहे से हम भगवान न होय। पै का करी या हमार रोजीरोटी आय। यहै कारन या काम करे का पड़त हवै।
रिपोर्टर- सुनीता देवी
24/05/2017 को प्रकाशित