मकर संक्रांति में तिल के लड्डू और खिचड़ी के अलावा बुंदेलखंड में बैल की रेस भी काफी मशहूर है। भले ही रेस पहले जैसी न होती हो लेकिन महोबा जिले के गांव छानी कलां के लोग आज भी इस परम्परा को बनाएं हैं।
कमल प्रसाद का कहना है कि यह बहुत पुरानी परम्परा है। पहले बैलों को सजाया जाता था फिर बैलगाड़ी को दौड़ाया जाता था। वही परम्परा आज भी चल रही है। दो-ढाई किलोमीटर की दौड़ होती थी। यहां हर साल जनवरी को मेला लगता है और बहुत दूर-दूर से लोग बैलगाड़ी की दौड़ देखनें आते हैं। नीलम ने बताया कि बैलगाड़ी की दौड़ देखने में अच्छी लगती है क्योंकि यह कभी देखने को नहीं मिलती है। शिवनाथ का कहना है कि तालाब तक चार बैलगाड़ी एक साथ भागते हैं। जो नहीं दौड़ पाते है वो वापस लौट आते हैं।पहले तो इस तरह की दौड़ होती थी कि बैल एक-दूसरे की गाड़ी तोड़ देते थे, अब तरह के बैल नहीं रह गये हैं क्योंकि वैसी खवाई नहीं हो पाती है और न ही उतना लोगों में शौक हैं।
रिपोर्टर- सुनीता प्रजापति
Published on Jan 16, 2018