जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव ओबरी, मजरा करौंदी खुर्द देश के आज़ादी का पूर सत्तर साल होय के बाद भी या पुरवा मा कउनौ विकास नहीं आय। या कारन से लोगन का हरतान के समसया से जूझै का परत हवै। विकास करवावै खातिर मड़ई प्रधान दद्दन लाल से जून के महीना मा कहिन। यहिके पहिले भी कइयौ दरकी कर्वी अउर मऊ ब्लाक मा कहि चुके हवैं, पै कउनौ ध्यान नहीं दीन गा हवै।
पुरवा के मीना का कहब हवै कि हमरे पुरवा मा बहुतै गंदगी रहत हवै। लोगन के नहाये धोये अउर निस्तार का पानी दुआरे के सउहें भरा रहत हवै। या कारन से मड़ई अपने दुआरे नहीं बइठ पावत आहीं।
कलावती कहिस कि बिजली नहीं लाग हवै। यहिसे हमार बच्चा पढ़ नहीं पावत हवैं। सरकार कहत तौ हवै कि देश का हर बच्चा पढ़ै लिखै अउर साक्षर होय का चाही। का यहिनतान मा हमार बच्चा पढ़ सकत हवैं। हरीलाल कहिस कि नाली अउर खड़न्जा तक नहीं बना आय। यहिसे पूर गांव मा गंदगी का ढेर लाग रहत हवै। हिंया चार हैण्डपम्प हवैं। उनमा चरही तक नहीं बनी आय। हैण्डपम्प मा चरही ना बनी होय के कारन से पानी भरै मा बाल्टी अउर डिब्बा नहीं लाग पावत हवैं। यहिसे हम लोगन का दोहरी मेहनत करै का परत हवै।
प्रधान दद्दन लाल कहिस कि अपने कार्यकाल मा हरतान का विकास करवइहौं। सौ शौचालय बनै खातिर पास होइगें हवैं। यहिमा से चालिस शौचालय बन गें हवैं। अउर शौचालय का रुपिया सरकार कइती से नहीं आवा आय।
पुरवा के मीना का कहब हवै कि हमरे पुरवा मा बहुतै गंदगी रहत हवै। लोगन के नहाये धोये अउर निस्तार का पानी दुआरे के सउहें भरा रहत हवै। या कारन से मड़ई अपने दुआरे नहीं बइठ पावत आहीं।
कलावती कहिस कि बिजली नहीं लाग हवै। यहिसे हमार बच्चा पढ़ नहीं पावत हवैं। सरकार कहत तौ हवै कि देश का हर बच्चा पढ़ै लिखै अउर साक्षर होय का चाही। का यहिनतान मा हमार बच्चा पढ़ सकत हवैं। हरीलाल कहिस कि नाली अउर खड़न्जा तक नहीं बना आय। यहिसे पूर गांव मा गंदगी का ढेर लाग रहत हवै। हिंया चार हैण्डपम्प हवैं। उनमा चरही तक नहीं बनी आय। हैण्डपम्प मा चरही ना बनी होय के कारन से पानी भरै मा बाल्टी अउर डिब्बा नहीं लाग पावत हवैं। यहिसे हम लोगन का दोहरी मेहनत करै का परत हवै।
प्रधान दद्दन लाल कहिस कि अपने कार्यकाल मा हरतान का विकास करवइहौं। सौ शौचालय बनै खातिर पास होइगें हवैं। यहिमा से चालिस शौचालय बन गें हवैं। अउर शौचालय का रुपिया सरकार कइती से नहीं आवा आय।
रिपोर्टर- सुनीता देवी
22/08/2016 को प्रकाशित
सत्तर साल आज़ादी के हो गए लेकिन चित्रकूट के ओबरी गाँव में आज तक विकास अधूरा है