मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने यूपी पुलिस में हो रहे एनकाउंटरों को फर्जी बताते हुए दावा किया है कि हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश में न्यायेतर हत्याएं हुई हैं।
इनमें मरने वालों में ज्यादातर दलित और मुसलमान थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्वतंत्र टीमों द्वारा जांच की मांग की गई है।
‘सिटीजन एगेंस्ट हेट‘ ग्रुप की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में होने वाली मुठभेड़ों की 16 घटनाओं और मेवात क्षेत्र के 12 मामलों का ब्यौरा है। ये मुठभेड़ 2017-18 में हुई थीं। उच्चतम न्यायालय के वकील प्रशांत भूषण ने उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों को मर्डर करार दिया है।
उन्होंने कहा कि एनएचआरसी को अपनी स्वतंत्र टीमें भेजकर इस मामले की जांच करानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये न्याय से अगल हत्याएं हैं। पुलिस द्वारा की गई ऐसी हत्याओं की विभाग के कनिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच की जाती है। उसे स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता। एनएचआरसी को अपनी स्वतंत्र टीमों के मार्फत सभी ऐसे मामलों की जांच करानी चाहिए।
योगी सरकार के एक साल से अधिक पूरे हो चुके हैं। बीते 12 महीनों में 1200 से अधिक एनकाउंटर हुए हैं। इनमें 50 से अधिक बदमाशों को मार गिराया गया है।