सत्तर वर्षों से जारी संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के शांति रक्षा अभियानों में सबसे ज्यादा भारतीय शांतिरक्षकों ने जान गंवाई है।संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर यूएन ने अपने अभियानों में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी। यूएन का कहना है कि 1948 से अब तक 3,737 शांतिरक्षकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इनमें 163 भारतीय थे। जान गंवाने वालों में सेना और पुलिस के जवानों के अलावा आम नागरिक भी शामिल थे।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2002 में इस दिवस की शुरुआत की थी। यूएन के अनुसार, 2017 में किसी भारतीय शांतिरक्षक की मौत नहीं हुई। वर्ष 2016 में कांगो मिशन में शामिल सैनिक बृजेश थापा और लेबनान में कार्यरत रवि कुमार की मौत हो गई थी। दोनों को मरणोपरांत डैग हैमरसोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।
फिलहाल विभिन्न देशों में 96 हजार सैनिकों और पुलिसबल के साथ 15 हजार आम नागरिक व 1,600 स्वयंसेवक यूएन के शांति रक्षा मिशन में शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा योगदान देने वालों में भारत तीसरे स्थान पर है। 6,693 भारतीय सैनिक और अर्धसैनिक बल लेबनान, दक्षिण सूडान, साइप्रस, कांगो, हैती, पश्चिम एशिया और पश्चिमी सहारा के अभियानों में तैनात हैं। इथोपिया और बांग्लादेश क्रमशः 8,380 व 7,053 शांतिरक्षकों से साथ भारत से आगे हैं।
यूएन का शांति रक्षा मिशन इस साल अपनी 70 वीं सालगिरह मना रहा है। माली में एक कार्यक्रम में यूएन महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने मिशन में शामिल सभी शांतिरक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में सबसे ज्यादा भारतीय शांति रक्षकों ने गंवाई जान
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